
कर्नाटक के हावेरी में अनूठी श्रद्धांजलि
रूस-यूक्रेन युद्ध में जान गंवाने वाले नवीन ज्ञानगौदर की तीसरी पुण्यतिथि पर उनके माता-पिता ने एक अनोखी श्रद्धांजलि दी है। अपने बेटे की याद को अमर बनाने के लिए उन्होंने हावेरी जिले में एक भव्य शिव ध्यान मंदिर का निर्माण करवाया है। यह मंदिर प्रेम, श्रद्धा और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक बनकर खड़ा है।
21 फीट लंबा मंदिर, 5 लाख रुपये की लागत
यह ध्यान मंदिर 21 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा है, जिसमें ढाई फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित किया गया है। साथ ही, मंदिर में नवीन की एक तस्वीर भी लगाई गई है। उनके माता-पिता शेखर ज्ञानगौदर और विजयलक्ष्मी ने बताया कि मंदिर के निर्माण में लगभग 5 लाख रुपये खर्च हुए हैं। उनका मानना है कि यह मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुकून प्रदान करेगा।
डॉक्टर बनने का था सपना, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था
नवीन बचपन से ही मेधावी छात्र थे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए पूरी मेहनत की थी, लेकिन कुछ अंकों से चूक गए। निजी मेडिकल कॉलेजों की ऊंची फीस के कारण उन्होंने यूक्रेन में एमबीबीएस करने का फैसला किया, जहां फीस तुलनात्मक रूप से कम थी।
युद्ध का खौफनाक मंजर और नवीन की दर्दनाक मौत
नवीन यूक्रेन के कीव शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ गया। भारतीय दूतावास ने सभी छात्रों को सुरक्षित भारत लौटने की सलाह दी थी। नवीन भी अपने दोस्तों के साथ वापसी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन नाश्ता लेने के लिए बाहर जाने के दौरान रूसी बमबारी में उनकी दर्दनाक मौत हो गई। यह दुखद घटना महाशिवरात्रि के दिन घटी, और नवीन रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे जाने वाले एकमात्र भारतीय छात्र थे।
पार्थिव शरीर किया मेडिकल रिसर्च के लिए दान
इस हादसे के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी नवीन की मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद 23 मार्च 2022 को नवीन का पार्थिव शरीर भारत लाया गया। उनके परिवार ने नवीन का शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए दावणगेरे अस्पताल को दान कर दिया, जो उनके बेटे की मानवता के प्रति सेवा भावना का प्रतीक बना।
मंदिर बना श्रद्धा और स्मृति का केंद्र
अब यह शिव ध्यान मंदिर नवीन की यादों को सहेजते हुए श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान कर रहा है। उनके माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा तो इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन यह मंदिर उसकी स्मृतियों को अमर बनाए रखेगा और समाज को सकारात्मकता की ओर प्रेरित करेगा।