
27 मई 2025 को टिहरी गढ़वाल के चमियाला गांव निवासी सूबेदार सुनील सिंह नेगी ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) को फतह कर देश और राज्य का गौरव बढ़ाया। इस अद्भुत उपलब्धि ने पूरे उत्तराखंड को गौरवान्वित किया है।
भारतीय सेना के सिल्वर जुबली अभियान का हिस्सा
यह अभियान भारतीय सेना द्वारा आयोजित “सिल्वर जुबली माउंट एवरेस्ट एक्सपीडिशन” का हिस्सा था। इस दल में सेना के विभिन्न अंगों के कुल 32 पर्वतारोही शामिल थे। इस ऐतिहासिक अभियान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 3 अप्रैल को दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
एवरेस्ट पर एक साथ 22 जवानों ने बनाई चढ़ाई
इस दल के 22 पर्वतारोहियों ने एक साथ एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर एक नया विश्व रिकॉर्ड भी बना दिया। इससे पहले किसी एक टीम के इतने सदस्य एक साथ एवरेस्ट पर नहीं पहुंचे थे। इस उपलब्धि को सैन्य पर्वतारोहण के इतिहास में मील का पत्थर माना जा रहा है।
सेना में 2001 से कार्यरत हैं सुबेदार नेगी
सुनील सिंह नेगी साल 2001 में 6वीं गढ़वाल राइफल यूनिट के जरिए भारतीय सेना में भर्ती हुए। उन्होंने 2004 में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग से छह महीने का पर्वतारोहण प्रशिक्षण प्राप्त किया था। उनका पर्वतारोहण के प्रति जुनून शुरू से ही उल्लेखनीय रहा है।
पहले भी फतह की कई दुर्गम चोटियां
एवरेस्ट विजय से पहले सूबेदार नेगी ने माउंट नून, माउंट अप्सरा, माउंट कांगजु कांगड़ी और माउंट मुकुट (ईस्ट) जैसी दुर्गम चोटियों पर भी सफलता पूर्वक चढ़ाई की है, जिनकी ऊंचाई 7000 मीटर से अधिक है। इससे पहले वह हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में बतौर इंस्ट्रक्टर भी सेवाएं दे चुके हैं।
देहरादून में निवास, लेकिन गांव से जुड़ा है मन
फिलहाल वे देहरादून के डीएसपी चौक, बड़ोवाला स्थित सनलाइट एन्क्लेव में रहते हैं, परंतु उनका दिल आज भी अपने पैतृक गांव चमियाला से जुड़ा है। उनके इस अभूतपूर्व कारनामे पर परिवार और गांव में जश्न का माहौल है।
युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत
सूबेदार नेगी की यह सफलता उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। उनके साहस, समर्पण और देशभक्ति की भावना आने वाली पीढ़ियों को भी राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करेगी।