
भारत में मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा, और इस अवसर पर विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी पर्व, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण पर्व, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में पोंगल, महाराष्ट्र और तेलंगाना में मकर संक्रांति, असम में भोगाली बिहू और पंजाब में लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है।
दही-चूड़ा: क्यों खाया जाता है मकर संक्रांति पर?
मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने की परंपरा खास महत्व रखती है। इसे भगवान सूर्य का प्रिय भोग माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव को दही-चूड़ा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं, जिससे सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दही-चूड़ा खाने से कुंडली में स्थित ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी दान और खाना फलदाई माना जाता है, जिससे इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।
दही-चूड़ा बनाने की आसान रेसिपी
दही-चूड़ा बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की जरूरत पड़ेगी:
- मोटा पोहा (चूड़ा)
- ताजा और गाढ़ा दही
- पिसा हुआ गुड़ या चीनी (स्वाद अनुसार)
विधि:
- पोहा को भिगोना: सबसे पहले चूड़ा (पोहा) को पानी में भिगोकर धो लें। यदि पोहा गाढ़ा हो, तो उसे 2 मिनट तक पानी में भिगोकर छान लें और कुछ देर के लिए ऐसे ही रहने दें।
- दही तैयार करें: एक कटोरी में ताजा और गाढ़ा दही लें और हल्का ब्लेंड करें। इसमें पिसा हुआ गुड़ या चीनी डालकर मिक्स करें।
- सर्विंग: अब भीगे हुए पोहे को एक प्लेट या कटोरी में रखें। इसके ऊपर तैयार दही डालें और हाथ या चम्मच से अच्छे से मिला लें।
दही-चूड़ा खाने के फायदे
- पेट की सेहत: दही चूड़ा खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और आंत की सेहत भी बनी रहती है।
- आंतों के बैक्टीरिया: दही में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
- वजन कम करना: दही-चूड़ा खाने से वजन कम करने में भी मदद मिल सकती है।
मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने से न केवल एक पुरानी परंपरा निभाई जाती है, बल्कि यह शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है।