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अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने डगमगाए वैश्विक बाजार, डॉव में 2,231 अंकों की भारी गिरावट

US-China trade war shakes global markets, Dow falls by 2,231 points

वॉल स्ट्रीट को महामारी के बाद सबसे बड़ा झटका
शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने गंभीर रूप ले लिया। अमेरिकी शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आई, जिससे निवेशकों के बीच घबराहट फैल गई। S&P 500 में 6% और डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 2,231 अंकों (5.5%) की गिरावट दर्ज की गई — यह वॉल स्ट्रीट की महामारी के शुरुआती दौर के बाद सबसे खराब गिरावट मानी जा रही है।

चीन की टैरिफ नीति ने बढ़ाई मंदी की आशंका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगाने के बाद चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी वस्तुओं पर समान टैरिफ लागू कर दिया। इस कदम ने बाजारों को हिला कर रख दिया और वैश्विक मंदी की आशंका को हवा दी। तकनीकी कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, जिससे नैस्डैक कंपोजिट सूचकांक 5.8% गिर गया और दिसंबर के उच्चतम स्तर से 20% नीचे बंद हुआ।

सकारात्मक नौकरियों के आंकड़े भी बेअसर
अमेरिकी श्रम विभाग की ओर से जारी हुई एक मजबूत नौकरियों की रिपोर्ट आमतौर पर बाजार को सहारा देती, लेकिन इस बार व्यापार तनाव ने सभी सकारात्मक संकेतों को दबा दिया। निवेशकों ने रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए अपना ध्यान अमेरिका और चीन के बीच बिगड़ते व्यापारिक संबंधों पर केंद्रित रखा।

चीन पर निर्भर कंपनियों को तगड़ा झटका
S&P 500 की 500 कंपनियों में से केवल 14 ही हरे निशान में बंद हो सकीं। चीन पर ज्यादा निर्भरता रखने वाली कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई। ड्यूपॉन्ट के शेयर 12.7% गिर गए क्योंकि चीन ने कंपनी पर एंटीट्रस्ट जांच शुरू की। वहीं जीई हेल्थकेयर के शेयरों में 16% की गिरावट देखी गई, जो कंपनी के चीनी बाजार में जोखिम को दर्शाता है।

कमोडिटी बाजार में भी भारी गिरावट
गिरावट सिर्फ इक्विटी मार्केट तक सीमित नहीं रही, बल्कि कच्चे तेल और तांबे जैसी कमोडिटीज की कीमतों में भी गिरावट आई। कच्चे तेल की कीमतें 2021 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गईं, जिससे वैश्विक मांग में गिरावट की चिंता और गहरी हो गई।

भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई
यह गिरावट साफ संकेत देती है कि यदि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार संबंधों में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले हफ्तों में वित्तीय अस्थिरता और बढ़ सकती है। निवेशक फिलहाल सतर्क रुख अपना रहे हैं और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अगली चाल की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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